जज कैसे बनें? (पूरी जानकारी: पढ़ाई, एग्जाम और करियर तक)

जज कैसे बनें? (पूरी जानकारी: पढ़ाई, एग्जाम और करियर तक)

क्या आप न्याय दिलाने का सपना देखते हैं? क्या आप चाहते हैं कि आपका काम समाज में सच्चाई और इंसाफ का साथ दे? अगर हाँ, तो जज (Judge) बनना आपके लिए एक बहुत ही सम्मानित और ज़िम्मेदारी भरा करियर हो सकता है! जज सिर्फ़ कोर्ट में बैठकर फैसले सुनाने वाले नहीं होते, बल्कि वे कानून के रखवाले और समाज में संतुलन बनाए रखने वाले होते हैं।

जज बनने का रास्ता थोड़ा लंबा और मुश्किल ज़रूर है, लेकिन अगर आप मेहनती और लगनशील हैं, तो ये सपना ज़रूर पूरा हो सकता है। भारत में न्यायपालिका (Judiciary) एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ है, और इसमें योग्य जजों की हमेशा ज़रूरत रहती है।

अक्सर स्टूडेंट्स के मन में सवाल होता है कि जज कैसे बनते हैं? इसके लिए क्या पढ़ना पड़ता है? कौन से एग्जाम देने होते हैं? और इस नौकरी में क्या-क्या फायदे होते हैं – ये सब जानना बहुत ज़रूरी है।

इस लेख में, हम आपको जज बनने से जुड़ी हर ज़रूरी जानकारी देंगे – जज क्या काम करते हैं, इसके लिए क्या पढ़ाई चाहिए, एडमिशन कैसे मिलता है, कौन से एग्जाम देने होते हैं, क्या सिलेबस होता है, कितनी सैलरी मिलती है, और करियर में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। तो, अगर आप भी कानून के जानकार बनकर न्याय की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए है!


जज कौन होता है और उनका क्या काम है?

जज (Judge) एक सरकारी अधिकारी होता है जो अदालत में कानून के हिसाब से फैसला सुनाता है। इनका मुख्य काम ये देखना होता है कि कोई भी केस कानून के दायरे में सही तरीके से सुलझे और सभी को न्याय मिले।

जज के काम में कई बड़ी जिम्मेदारियाँ शामिल होती हैं:

  • केस सुनना: वे वकील और गवाहों की बातें सुनते हैं, सबूतों की जाँच करते हैं।
  • कानून लागू करना: वे भारतीय संविधान और अलग-अलग कानूनों के हिसाब से फैसला लेते हैं।
  • दोषी या निर्दोष ठहराना: अपराध के मामलों में वे तय करते हैं कि कोई व्यक्ति दोषी है या नहीं और अगर दोषी है, तो उसे क्या सज़ा मिलेगी।
  • नागरिक मामले सुलझाना: ज़मीन-जायदाद, परिवार के झगड़े, कॉन्ट्रैक्ट (समझौते) जैसे मामलों में भी वे फैसला सुनाते हैं।
  • न्याय सुनिश्चित करना: उनका सबसे बड़ा काम यही होता है कि हर किसी को निष्पक्ष (fair) न्याय मिले।

भारत में अलग-अलग स्तर पर जज होते हैं, जैसे:

  1. सिविल जज / न्यायिक मजिस्ट्रेट (Civil Judge / Judicial Magistrate): ये सबसे शुरुआती स्तर के जज होते हैं और ज़िला अदालतों में काम करते हैं।
  2. ज़िला जज (District Judge): ये ज़िला स्तर पर सबसे बड़े जज होते हैं।
  3. हाई कोर्ट के जज (High Court Judge): ये राज्य के सबसे बड़े न्यायालय (हाई कोर्ट) में काम करते हैं।
  4. सुप्रीम कोर्ट के जज (Supreme Court Judge): ये देश के सबसे बड़े न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में काम करते हैं।

जज कैसे बनें? (पूरी प्रक्रिया)

जज बनने के लिए आपको कानून की पढ़ाई करनी होती है और फिर एक मुश्किल परीक्षा पास करनी पड़ती है। इसकी पूरी प्रक्रिया इस तरह है:

पहला कदम: कानून की डिग्री हासिल करें (LLB)

जज बनने के लिए सबसे पहले आपको कानून में ग्रेजुएशन की डिग्री (LLB) लेनी होगी। आप इसे दो तरह से कर सकते हैं:

  1. 12वीं के बाद (5 साल का कोर्स):
    • अगर आप 12वीं के बाद ही तय कर लेते हैं कि आपको जज बनना है, तो आप 5 साल का इंटीग्रेटेड LLB कोर्स कर सकते हैं। इसमें आपको BA LLB, BBA LLB या B.Com LLB जैसी डिग्री मिलती है।
    • एडमिशन के लिए: आपको CLAT (Common Law Admission Test) या AILET जैसे नेशनल लेवल के एंट्रेंस एग्जाम पास करने होते हैं। कई यूनिवर्सिटी अपने खुद के एंट्रेंस एग्जाम भी लेती हैं।
  2. ग्रेजुएशन के बाद (3 साल का कोर्स):
    • अगर आपने किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन कर लिया है, तो आप उसके बाद 3 साल का LLB कोर्स कर सकते हैं।
    • एडमिशन के लिए: कई यूनिवर्सिटी सीधे ग्रेजुएशन के नंबरों के आधार पर या अपने खुद के एंट्रेंस एग्जाम के ज़रिए एडमिशन देती हैं।

दूसरा कदम: बार काउंसिल एग्जाम पास करें (AIBE)

LLB की डिग्री लेने के बाद, आपको बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा आयोजित ऑल इंडिया बार एग्जाम (AIBE) पास करना होता है। ये एग्जाम पास करने के बाद ही आप वकील (Advocate) के तौर पर प्रैक्टिस कर सकते हैं। जज बनने के लिए वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी होता है।

तीसरा कदम: न्यायिक सेवा परीक्षा पास करें (Judicial Services Exam)

यही वो सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है जिसे पास करके आप सिविल जज बन सकते हैं। इसे PCS (J) – Provincial Civil Service Judicial Exam भी कहते हैं।

  • कौन आयोजित करता है: ये परीक्षा अलग-अलग राज्यों के पब्लिक सर्विस कमीशन (जैसे UPPSC, BPSC, RPSC) या हाई कोर्ट द्वारा आयोजित की जाती है।
  • परीक्षा के चरण: इस परीक्षा के तीन मुख्य चरण होते हैं:
    1. प्रीलिम्स परीक्षा (Preliminary Exam): ये पहला चरण होता है और इसमें ऑब्जेक्टिव (MCQ) सवाल आते हैं। इसे पास करने वाले ही अगले चरण में जाते हैं।
    2. मेन्स परीक्षा (Mains Exam): ये दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इसमें आपको लिखने वाले (Subjective) सवाल आते हैं, जिसमें कानून के विषयों पर विस्तृत जवाब देने होते हैं।
    3. इंटरव्यू (Interview/Viva Voce): मेन्स पास करने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है, जहाँ उनकी पर्सनैलिटी, कानून की समझ और न्याय की सोच को परखा जाता है।

चौथा कदम: शपथ और नियुक्ति

तीनों चरण पास करने के बाद, आपकी मेरिट लिस्ट बनती है। अगर आपका नाम मेरिट लिस्ट में आता है, तो दस्तावेज़ सत्यापन (Document Verification) और मेडिकल टेस्ट के बाद आपको सिविल जज के पद पर नियुक्त किया जाता है।


जज बनने के लिए योग्यता (Eligibility Criteria)

जज बनने के लिए आपको निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करनी होंगी:

1. राष्ट्रीयता:

  • आप भारत के नागरिक होने चाहिए।

2. शैक्षणिक योग्यता:

  • आपके पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की डिग्री (LLB) होनी चाहिए (चाहे वो 5 साल वाला इंटीग्रेटेड कोर्स हो या 3 साल वाला)।
  • कुछ राज्यों में, LLB के बाद आपको बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा आयोजित ऑल इंडिया बार एग्जाम (AIBE) पास करना भी ज़रूरी होता है, ताकि आप वकील के तौर पर रजिस्टर हो सकें।

3. अनुभव (सिविल जज के लिए):

  • सिविल जज बनने के लिए आमतौर पर किसी भी अदालत में वकील के तौर पर प्रैक्टिस का अनुभव ज़रूरी नहीं होता। आप LLB के तुरंत बाद भी न्यायिक सेवा परीक्षा दे सकते हैं। हालांकि, कुछ राज्यों में अनुभव मांगा जा सकता है।

4. आयु सीमा:

  • अलग-अलग राज्यों में न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग होती है।
  • आमतौर पर, न्यूनतम आयु 21 से 23 वर्ष और अधिकतम आयु 35 से 40 वर्ष तक होती है।
  • सरकारी नियमों के अनुसार, आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC) के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में छूट मिलती है।

न्यायिक सेवा परीक्षा का सिलेबस (क्या पढ़ना होता है?)

न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Services Exam) का सिलेबस राज्य के हिसाब से थोड़ा अलग होता है, लेकिन कुछ मुख्य विषय लगभग सभी परीक्षाओं में शामिल होते हैं। इसे दो भागों में बांटा जा सकता है:

1. सामान्य ज्ञान और भाषा (General Knowledge & Language):

  • सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स (General Knowledge & Current Affairs): भारत का इतिहास, भूगोल, भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और हाल की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाएँ।
  • भाषा (Language): हिंदी और अंग्रेजी भाषा की समझ, व्याकरण, निबंध लेखन, प्रेसी राइटिंग (संक्षेपण)।

2. कानून के विषय (Law Subjects):

यह परीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें कानून से जुड़े अलग-अलग विषयों पर सवाल आते हैं। कुछ प्रमुख कानून के विषय हैं:

  • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC): अपराध और उनकी सज़ा।
  • दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure – CrPC): आपराधिक मामलों की प्रक्रिया।
  • सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure – CPC): दीवानी मामलों की प्रक्रिया।
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act): सबूतों से जुड़े नियम।
  • भारतीय संविधान (Indian Constitution): भारत का संविधान।
  • भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act): समझौतों से जुड़े कानून।
  • संपत्ति अंतरण अधिनियम (Transfer of Property Act): संपत्ति के लेनदेन से जुड़े कानून।
  • विशिष्ट अनुतोष अधिनियम (Specific Relief Act): कुछ खास राहत पाने से जुड़े कानून।
  • हिंदू कानून (Hindu Law): हिंदुओं से जुड़े पारिवारिक और उत्तराधिकार कानून।
  • मुस्लिम कानून (Muslim Law): मुस्लिमों से जुड़े पारिवारिक और उत्तराधिकार कानून।
  • नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act): चेक, बिल ऑफ एक्सचेंज आदि से जुड़े कानून।
  • स्थानीय कानून (Local Laws): जिस राज्य के लिए आप परीक्षा दे रहे हैं, वहाँ के कुछ विशेष स्थानीय कानून।

नोट: मेन्स परीक्षा में ये विषय विस्तृत रूप से पूछे जाते हैं, जबकि प्रीलिम्स में ऑब्जेक्टिव सवाल आते हैं।


जज की तैयारी कैसे करें? (Preparation Tips)

जज बनने की तैयारी के लिए आपको एक ठोस रणनीति और कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है:

  1. बेस मजबूत करें (LLB की पढ़ाई):
    • LLB की पढ़ाई के दौरान ही सभी कानून के विषयों को गंभीरता से पढ़ें। क्लास में ध्यान दें और नोट्स बनाएँ।
    • किताबों को गहराई से पढ़ें और कानूनी सिद्धांतों को समझें।
  2. सिलेबस और परीक्षा पैटर्न समझें:
    • जिस राज्य की न्यायिक सेवा परीक्षा आप देना चाहते हैं, उसका पूरा सिलेबस और पैटर्न डाउनलोड करें और उसे अच्छी तरह समझ लें।
    • प्रीलिम्स और मेन्स, दोनों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाएँ।
  3. कानून के विषयों पर पकड़ बनाएँ:
    • प्रमुख कानूनों (IPC, CrPC, CPC, Evidence Act, Constitution) पर अपनी पकड़ मज़बूत करें।
    • बेयर एक्ट (Bare Act) को अच्छे से पढ़ें, क्योंकि परीक्षा में सीधे धाराओं से सवाल आते हैं।
    • महत्वपूर्ण केस लॉ (Landmark Judgments) को समझें और नोट्स बनाएँ।
    • रोज़ाना कानून से जुड़ी खबरें पढ़ें और अपडेट रहें।
  4. सामान्य ज्ञान और भाषा पर भी ध्यान दें:
    • करंट अफेयर्स के लिए रोज़ाना अख़बार पढ़ें और मासिक पत्रिकाएँ देखें।
    • सामान्य ज्ञान के लिए लूसेंट जैसी किताबें पढ़ सकते हैं।
    • अपनी हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर काम करें, खासकर व्याकरण और लेखन कौशल (essay, précis writing) पर।
  5. अभ्यास और मॉक टेस्ट:
    • प्रीलिम्स और मेन्स, दोनों के लिए पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करें।
    • नियमित रूप से मॉक टेस्ट दें। इससे आपको समय प्रबंधन और अपनी कमजोरियों को पहचानने में मदद मिलेगी।
    • मेन्स के लिए उत्तर लिखने का अभ्यास करें। अपनी लिखाई और प्रस्तुति पर काम करें।
  6. कानूनी पत्रिकाएँ और ब्लॉग:
    • कानूनी पत्रिकाओं और वेबसाइटों (जैसे Live Law, Bar and Bench) को पढ़ें ताकि आपको नवीनतम कानूनी विकास और चर्चाओं की जानकारी मिले।
  7. इंटरव्यू की तैयारी:
    • जब आप मेन्स पास कर लें, तो इंटरव्यू की तैयारी शुरू करें। इसमें आपकी कानून की समझ, सामान्य जागरूकता, आत्मविश्वास और बोलने के तरीके को परखा जाता है।
    • मॉक इंटरव्यू देना बहुत फायदेमंद होता है।
  8. स्वास्थ्य और धैर्य:
    • जज बनने की यात्रा लंबी हो सकती है, इसलिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है।
    • धैर्य बनाए रखें और हार न मानें।

जज का वेतन (Salary) और करियर ग्रोथ

जज का पद बहुत ही सम्मानित होता है और इसमें अच्छा वेतन भी मिलता है।

  • वेतन (Salary):
    • सिविल जज (जूनियर डिविजन): शुरुआत में इनका मासिक वेतन लगभग ₹77,840 से ₹1,36,520 तक हो सकता है। इसमें मूल वेतन के साथ-साथ महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता और अन्य भत्ते भी शामिल होते हैं।
    • ज़िला जज (District Judge): अनुभव और पदोन्नति के बाद, एक ज़िला जज का वेतन ₹1,44,840 से ₹1,94,660 तक हो सकता है।
    • हाई कोर्ट के जज: इन्हें मासिक ₹2,25,000 मिलते हैं, जबकि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ₹2,50,000 मिलते हैं।
    • सुप्रीम कोर्ट के जज: इन्हें मासिक ₹2,50,000 मिलते हैं, जबकि भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) को ₹2,80,000 मिलते हैं।
    • वेतन के अलावा, जजों को सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा, भत्ते और सेवानिवृत्ति (Retirement) के बाद अच्छी पेंशन जैसी कई सुविधाएँ भी मिलती हैं।
  • करियर ग्रोथ (Career Growth):
    • सिविल जज (जूनियर डिविजन): शुरुआत में आप सिविल जज या न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त होते हैं।
    • सीनियर सिविल जज: अनुभव के आधार पर आप इस पद पर पदोन्नत होते हैं।
    • चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) / एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (ADJ): आगे चलकर आप इन पदों पर पहुँच सकते हैं।
    • ज़िला जज (District Judge): ये ज़िला स्तर पर न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं।
    • हाई कोर्ट के जज: अगर आपके पास ज़िला जज के रूप में 10 साल का अनुभव है, या आपने हाई कोर्ट में 10 साल तक वकील के तौर पर काम किया है, तो आपको हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया जा सकता है।
    • सुप्रीम कोर्ट के जज: हाई कोर्ट में 5 साल तक जज रहने या सुप्रीम कोर्ट में 10 साल तक वकील के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज को भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया जाता है।

निष्कर्ष

जज बनना एक ऐसा करियर है जो आपको सम्मान, अच्छी सैलरी और सबसे बढ़कर, समाज में न्याय और व्यवस्था बनाए रखने का अवसर देता है। ये रास्ता चुनौतियों भरा ज़रूर है, लेकिन सही दिशा में की गई मेहनत और लगन से आप इस मुकाम तक पहुँच सकते हैं। कानून की पढ़ाई से लेकर न्यायिक सेवा परीक्षा पास करने तक, हर कदम पर आपको धैर्य और समर्पण दिखाना होगा।

अगर आप वाकई लोगों के लिए न्याय का प्रतीक बनना चाहते हैं, तो यह करियर विकल्प आपके लिए बेहतरीन हो सकता है।

अगर आपके मन में अभी भी कोई सवाल है या आप जज बनने से जुड़ी कोई और जानकारी चाहते हैं, तो बेझिझक पूछें! न्याय के इस पवित्र रास्ते पर आपकी यात्रा सफल हो!

Naresh Bishnoi  के बारे में
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